द गर्ल इन रूम 105–३३
पुलिस की पूछताछ के दबाव के आगे मैं धीरे-धीरे टूटने लगा। मेरी आंखों से आंसू बहने लगे। मैं 'फूट-फूटकर रो पड़ा। ज़ारा अब इस दुनिया में नहीं थी। आज के बाद मैं उसे फिर कभी नहीं देख पाऊंगा। उसकी आवाज़ नहीं सुन पाऊंगा। उसे मैसेज नहीं कर पाऊंगा और उसका स्टेटस तक नहीं देख पाऊंगा। आखिर इन्हीं तमाम चीज़ों के महारे ही तो मैं इतने सालों से जी रहा था। और सबसे बदतर यह कि पुलिस सोचती है, मैंने उसे मारा है। पुलिस
मुझे इसके लिए ताउम्र जेल में ठूंस सकती थी। मैंने हाथ जोड़े। 'राणा सर, मैंने उसे नहीं मारा है, मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता।'
"तो फिर किसने उसे मारा? और ये बच्चों की तरह रोना-धोना बंद करो।' 'मुझे नहीं मालूम ये किसने किया, ' मैंने खुद को संभालते हुए कहा ।
इंस्पेक्टर ने इंटरकॉम उठाया। एक और कांस्टेबल भीतर आया। 'लड़की के फोन से कुछ मिला?"
'सर, वो लॉक्ड आईफ़ोन है। और हमें उसका पासकोड मालूम नहीं।'
"उस पर टच आईडी है? अंगूठे के निशान वाली?"
'हां, सर।'
"तो मुर्दा लड़की के अंगूठे की मदद से उसको खोलो।'
कांस्टेबल ने सिर खुजाया । 'जब फोन स्विच ऑन होता है तो पहले कोई न्यूमेरिक पासकोड डालना होता
'तो क्या थाने में किसी बेवकूफ़ ने फोन को ऑफ़ कर दिया था?"
है, सर
"नहीं, नहीं, सर। फोन तो पहले ही स्विच्ड ऑफ था, और ऐसे ही चार्ज हो रहा था।' 'तो अब हम फोन को अनलॉक नहीं कर सकते?" 'नहीं, सर। वह सिक्स डिजिट पासकोड है। दस बार गलत नंबर लिखने पर फोन हमेशा के लिए लॉक हो
'जाएगा।'
'ये स्टुपिड फोन कंपनियां सर्विस प्रोवाइडर को फोन लगाओ। उससे कॉल लॉग्स हासिल करो। "
वो तो पहले ही कर लिया, सर।' 'तो क्या आज किसी ने लड़की को फ़ोन लगाया था?"
'उसके फ़ोन पर 'रघु क्यूटी पाई' नाम के कॉन्टैक्ट के दो मिस्ड कॉल हैं।' मैं उसे कॉल कर रहा हूँ। तुम सेल टॉवर से पता लगाओ कि बीती रात रघु क्यूटी पाई' की लोकेशन क्या
थी।'
'जी, सर
इंस्पेक्टर मेरी ओर मुड़े।
'बाहर जाकर वेट करो, केशव, 'उन्होंने कहा 'मैं एफआईआर को कुछ समय के लिए रोक सकता हूं, लेकिन अभी तुम थाना छोड़कर कहीं नहीं जा सकते।'
'मैं कहीं नहीं जाऊंगा, सर आई प्रॉमिस' 'बाहर किसी कोने में जगह ढूंढकर फर्श पर सो जाओ।'
'मैं कुर्सी पर बैठकर भी आराम कर सकता हूं, सर, लेकिन एक बात है।"
"ERIT?'
"आप रघु को कॉल करने जा रहे हैं। क्या मैं यहां रुककर आपकी बात सुन सकता हूँ?"
'क्यों?"
'पता नहीं, सर बस मैं सुनना चाहता हूं।'
'ओह, तो अब तुम जासूसी भी करना चाहते हो?" "सर, बॉडी मुझे मिली थी। मैं उसे जानता था। जाहिर है, मुझे इस मामले में गहरी दिलचस्पी है। और हो
सकता है, शायद मैं आपकी कोई मदद भी कर पाऊँ।' इंस्पेक्टर ने कंधे उचका दिए। उसको इससे ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता था। उसने रघु का नंबर डायल किया
और फ़ोन को स्पीकर मोड पर रख दिया।
'हैलो, गुड मॉर्निंग, एक महिला की आवाज़ सुनाई दी। उसकी आवाज़ में तेलुगु लहजा था। "हैलो, क्या मिस्टर रघु वेंकटेश से बात हो सकती है?" राणा ने कहा।